गुरु रंधावा निर्देशक जी. अशोक की 'कुछ खट्टा हो जाए' में गायक के साथ -साथ हीरो के रूप में भी पेश हुए हैं।

Image Source : instagram

फिल्म का स्क्रीनप्ले बहुत कमजोर है। एडिटिंग में कमी है और इसी कारण एक दृश्य, दूसरे दृश्य के साथ तारतम्यता नहीं बैठा पाते।

Image Source : instagram

ऐसा लगता है कॉमेडी, रोमांस और इमोशन के पंचेज को टुकड़ों-टुकड़ों में जोड़कर पेश कर दिया गया है।

Image Source : instagram

फिल्म में कई चीजें लॉजिक से दूर होने के कारण फूहड़ लगती हैं। किरदारों की फिलोसफी को निर्देशक अपनी सहूलियत से मोड़ते नजर आते हैं।

Image Source : instagram

संगीत की बात की जाए तो गुरु रंधावा के कारण 'इशारे तेरे', 'झोल झोल', 'जीना सिखाया' अलग से अच्छे लगते हैं।

Image Source : instagram

अभिनय पक्ष में, गुरु रंधावा की स्माइल और स्क्रीन प्रेसेंज अच्छी है, मगर एक्‍ट‍िंग के मामले में उन्हें अभी कई कोस और चलने होंगे।

Image Source : instagram

अपनी पिछली फिल्मों की तुलना में सई मांजरेकर अभिनय के मामले में संवरी हैं,

Image Source : instagram

कहानी की शुरुआत एक बेहद खूबसूरत नोट पर शुरू होती है। आगरा के अमीर परिवार से ताल्लुक रखने वाले हीर (गुरु रंधावा) का मिठाई का फैमिली बिजनेस है।

Image Source : instagram

हीर के दादा (अनुपम खेर) और परिवार का एकमात्र सपना है कि हीर शादी करके खानदान को घर का चिराग दे।

Image Source : instagram

दूसरी तरफ हीर के ही कॉलेज में पढ़ने वाली इरा (सई मांजरेकर) आईएएस का एग्जाम देकर कलेक्टर बनना चाहती है,

Image Source : instagram

मगर उस पर भी परिवार की तरफ से शादी का दबाव है। ऐसे में ये दोनों आपसी सहमति से शादी करने का फैसला करते हैं,

Image Source : instagram

मगर एक शर्त के साथ कि जब तक इरा कलेक्टर नहीं बन जाती, तब तक हीर और इरा पति -पत्नी की तरह नहीं, बल्कि दोस्तों की तरह रहेंगे।

Image Source : instagram